चिडिया और चुरुगन
हरिवंश राय बच्चन यांची पालक म्हणून किंवा पाल्य म्हणून, वाचण्यासारखी व आनंद घेण्यासारखी अप्रतिम कविता. छोड़ घोंसला बाहर आया‚ देखी डालें‚ देखे पात‚ और सुनी जो पत्ते हिलमिल‚ करते हैं आपस में बात; माँँ‚ क्या मुझको उड़ना आया? “नहीं चुरूगन‚ तू भरमाया” डाली से डाली पर पहँुचा‚ देखी कलियाँ‚ देखे फूल‚ ऊपर उठ कर … Continue reading चिडिया और चुरुगन