May 29, 2019May 29, 2019 by Rupesh Ghagi मुलाकात Poetry Leave a comment मिल, खुल के मिल, फिक्र मत कर,मुलाकात का कहीं जिक्र मत कर,जो भी है दरमीयाँ, कोई नाम ना देदुनिया पे छोड, खुद इल्जाम ना दे ! – रुपेश घागी (२९ मई, २०१९) (Photo Credit: www.pixabay.com)