May 27, 2019May 29, 2019 by Rupesh Ghagi बुद्ध… Poetry Leave a comment शुन्य में नजर और मुखपर मुस्कान हैवह अचल है, समय का इम्तिहान है,एक अवस्था, अस्वस्थता के पार की,अंतर्बाह्य शुन्यता के संपुर्ण स्विकार की ! – रुपेश घागी (२७ मई, २०१९) (Photo Credit: www.pixabay.com)